मृत्यु एक अटल सत्य है, जो हम सब का अंतिम पड़ाव है
जिंदगी का सही मतलब क्या है?
जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ पाते की हम कहाँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? कहाँ तक हमें ऐसे ही चले जाना है? हमने पाना क्या है? क्यूंकि
“मृत्यु एक अटल सत्य है, जो हम सब का अंतिम पड़ाव है”।
और वहां पर जा कर मृत व्यक्ति के लिए ये यात्रा, ये दौड़भाग, ये मौज मस्ती सब रुक जाता है, समय भी। मैं जीवन को समझने के लिए कुछ विचारों का सहारा लूंगा।
कुछ कहते है की जीवन में सफल हो गए तो आप जीवन जी गए । लेकिन सफल होने का तात्पर्य क्या है? क्या बड़ा घर होना? बहुत सारा पैसा होना? या अपने किसी बड़ी इच्छा को पा लेना?
अगर जीवन में यही सब सफल होना है तो ये तो कुछ ही व्यक्ति हो पाएंगे?
क्या बड़ा घर पा कर, बहुत सारा पैसा पाकर या किसी बड़ी इच्छा को पूरा कर के हम सुकून में जी सकते हैं? क्या हमें शांति मिल सकती है? क्या हमारी और अधिक पाने की इच्छा समाप्त हो सकती है? शायद नहीं।
अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन को इस तरह से जीता है की वह खुद को
१. ईमानदार बनाये,
२. समयनिष्ठ बनाये,
३. मेहनती बनाये ,
४. कर्त्तव्य निष्ठ बनाये ,
५. निडर बनाये,
तो प्रत्येक व्यक्ति सफल हो सकता है और समाज के लिए आदर्श स्थापित कर सकता है।